कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं मौलिक अधिकार

Authors

  • प्रोफेसर सीमा रानी राजनीति विज्ञान, दमयंती राज आनंद पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, बिसौली, बदायूँ, उत्तर प्रदेश, भारत

Keywords:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ए आई, जनरेटिव प्री-ट्रेनिंग ट्रांसफार्मर, गोपनीयता, मौलिक अधिकार, न्यायपालिका, साइबर सुरक्षा, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, डेटा संरक्षण, बेरोजगारी, व्यक्तिगत जीवन

Abstract

वर्ष 2022 में, जनरेटिव प्री-ट्रेनिंग ट्रांसफार्मर (ळच्ज्) एप्लीकेशन ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता को मुख्य धारा में लाकर आई (।प्) को एक नया मापदण्ड प्रदान किया है। यह लेख ए आई और मौलिक अधिकार के संबंध में विचार करता है। आज के समय में, ए आई का उपयोग स्वास्थ्य, व्यापार, शिक्षा, न्यायपालिका, और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में हो रहा है। हालांकि, इसके साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से मानव समाज में कई चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। इस लेख में, हमने इस संदर्भ में विचार किया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ मौलिक अधिकारों की सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है।

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Published

2024-03-30

How to Cite

[1]
रानी स. ., “कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं मौलिक अधिकार”, J. Soc. Rev. Dev., vol. 3, no. Special 1, pp. 134–135, Mar. 2024.